देखना है- कब तलक जलदीप लहरों से लड़ेगा कँपकँपाती उंगलियों को चूमकर वेग से ये चल चल दिया लो झूमकर चाँद-सा भागीरथी के माथ पर झिलमिल तिरेगा है अमावस की निशा, तम है घना जलगगन दमका रही है वर्तिका देखकर इसका सलोना रूप जल, जल-जल मरेगा है भँवर बेताब जाने कब डुबा … Continue reading जलदीप
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